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ऐसे ही दिन बीत रहे थे. हम दोनों खाली मैसेज से ही बात किया करते थे.
एक दिन मैं काम से वापस आ रहा था, तो आंटी कहीं जा रही थीं.
मैंने गाड़ी उनके पास रोक दी, तो वो देख कर स्माइल करने लगीं.
मैंने पूछा- आंटी इतना सज-धज के कहां जा रही हो आप?
वो बोलीं कि कहीं नहीं … पास ही गार्डन में घूमने जा रही हूँ.
मैंने पूछा- अकेली अकेली?
वो बोलीं- मेरे पति और बेटा पैतृक गाँव गए हैं, तो वो आज नहीं आएंगे. मैं घर पर अकेली बोर हो रही थी … तो सोचा कहीं घूम आऊं.
मैंने पूछा- आपको कोई प्रॉब्लम न हो तो मैं भी आ जाऊं!
इस पर वो हंस दीं और बोलीं कि कोई प्रॉब्लम नहीं है … चलो.
उस दिन आंटी ने बहुत ही मस्त ड्रेस पहनी थी. टाइट लैगिंग्स में से उनकी जांघें मस्त दिख रही थीं. ऊपर व्हाइट कुर्ता पहना था, वो मलमल का था जिसके अन्दर से उन्होंने काले रंग की ब्रा पहनी थी, जो साफ़ दिख रही थी.
मैंने उन्हें बाइक पर बैठने का इशारा किया तो वो गांड उचका कर वो मेरे पीछे बैठ गई थीं.
आंटी ने अपना सारा भार मुझ पर ही डाल दिया और मुझसे सट कर बैठ गईं. आंटी के मम्मों के स्पर्श से मेरा लंड तन गया.
हम दोनों घूमने निकल पड़े.
उन्होंने कहा- रवि, चलो कहीं दूर से घूम कर आते हैं.
मैं समझ गया कि आंटी मेरे साथ देर तक चिपकना चाहती हैं.
उनके ये बोलते ही मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो आंटी मुझसे एकदम से चिपक कर बैठ गई ओर बोलीं- थोड़ा संभाल कर आहिस्ता से चलाओ. मैं कहीं गिर न जाऊं.
हम दोनों हाईवे पर पहुंच गए.
मैंने वहीं बाजू में गाड़ी लगाई और बातें करने लगे. बातों बातों में उन्होंने मुझसे फिर से गर्लफ्रेंड के बारे में पूछा.
मैंने न बोला और उनको बताया- मैं आपको चाहने लगा हूँ.
मेरी बात सुनकर वो एकदम से चुप हो गईं और थोड़ा गुस्सा भी हो गईं.
मैं चुप रहा.
एक मिनट बाद आंटी बोलीं- मैं भी तुम्हें चाहती हूँ रवि … लेकिन डर लगता है कि किसी को पता चल गया तो बदनामी होगी.
मैंने बोला- कैसे पता चलेगा … मैं तो किसी को जानता भी नहीं हूँ. आप बताओगी क्या किसी को?
आंटी बोलीं- मैं क्यों बताऊं भला?
मैंने बोला- जब आप चुप, मैं चुप … तो किसे पता चलेगा.
मैंने आंटी को थोड़ी हिम्मत दी, तो वो मेरे गले से लग गईं और मुझे कसके जकड़ लिया.
क्या बताऊं यारो … मेरा लंड फिर से तन गया.
जहां मैंने बाइक रोकी थी, वहां आसपास कोई नहीं था. सिर्फ मैं और चंदा आंटी ही थे.
मैंने आंटी को चूम लिया. तो उन्होंने मुझे दूर किया और बोलीं- यहां नहीं … घर पर चलते हैं.
अब मैं और वो घर की ओर चल दिए.
रास्ते में उन्होंने बताया कि मेरा पति मुझे प्यार ही नहीं करता है. उसका कहीं और लफड़ा चल रहा है. जब से बच्चा हुआ है, तब से वो मेरे साथ प्यार नहीं करता है. क्योंकि अब मैं उसे मोटी दिखती हूँ. मैंने अपनी औलाद के पैदा होने के बाद से सेक्स नहीं किया है.
मैंने पूछा- मतलब आपने 15 साल से सेक्स नहीं किया है.
आंटी बोलीं- हां … और न ही मेरा किसी के साथ लफड़ा हुआ है. बदनामी के कारण मैंने किसी से भी दोस्ती नहीं की.
मैंने कहा- हां आंटी, आप जरा सी भी किसी को लिफ्ट देतीं, तो आपके आगे लाइन लग जाती.
आंटी ने कहा- हां रवि, तुम सच कह रहे हो. इस एरिया के सारे लड़के और बूढ़े भी मुझको घूरते हैं लेकिन मैंने किसी को घास नहीं डाली. तुम पहले हो जिसके प्यार में मैं पड़ी हूँ.
यही सब बातें करते करते हम लोग अपने मोहल्ले में पहुंच गए.
मैंने उन्हें घर से थोड़ा पहले ही छोड़ा और मैं घर पर आ गया.
अपने कमरे में आकर मैं फ्रेश हुआ और घड़ी देखी तो 11 बज गए थे.
मैंने आंटी को फोन किया, तो वो बोलीं- जरा रुको, सरप्राइज है.
मैं बोला- ठीक है, जल्दी आओ … आपके बिना मेरा मन नहीं लग रहा है.
वो भी बोलीं- तुमने मेरा भी तो चैन चुराया है … लेकिन तुम्हें कुछ सरप्राइस देना है, तो रुको.
करीब 12.15 बजे आंटी मेरे कमरे में आईं. उन्होंने रेड सिल्क का गाउन पहना हुआ था. उनके दूध इस गाउन के गहरे गले से साफ साफ दिख रहे थे. शायद वो नहाकर आयी थीं.
वो आईं और मेरे बाजू में बैठ गईं.
मैं सिर्फ अंडरवियर में बैठा था.
वो मुझे देख कर मुस्कराईं ओर बोलीं- पूरी तैयारी में बैठे हो.
मैंने कहा- नहीं तो, मैं घर पर ऐसे ही रहता हूं.
वो हंसने लगीं और मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगीं.
मेरा लंड अपने आकार में आ गया. तो आंटी ने तुरंत ही उसे अपने हाथ में पकड़ लिया और ऊपर से ही मसलने लगीं … उससे खेलने लगीं.
मैंने वासना से आंटी की तरफ देखा तो थोड़ी ही देर बाद उन्होंने लंड को चड्डी से बाहर निकाल दिया.
लंड देखते ही बोलीं- इतना बड़ा … मेरे पति का इसे थोड़ा छोटा है.
वो लंड से खेलने लगीं.
मैंने बोला- आंटी थोड़ा धीरे … रस निकल जाएगा.
वो गुस्से में मुझसे देखने लगीं और जोर जोर से लंड हिलाने लगीं.